Sadhana Shahi

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मेवाड़ शूरवीर ( कविता) स्वैच्छिक प्रतियोगिता हेतु -10-May-2024

मेवाड़ शूरवीर महाराणा ( कविता) स्वैच्छिक प्रतियोगिता हेतु कल 9 मई मेवाड़ के शूरवीर महाराणा प्रताप के जन्म- दिवस पर स्वाभिमान के प्रतीक मेवाड़- मुकुट महाराणा प्रताप को कोटि-कोटि नमन 🙏🙏🙏🙏

धन्य हुई मेवाड़ की धरती, जहांँ राणा जी जन्म लिए। सूर्य का चमक भी फीका पड़ता राणा रण-भूमि में थम जो गए।

राणा सांगा के वंशज थे, रखते थे राजपूती शान। स्वतंत्रता की रक्षा खातिर, कर दिए अपना सर्वस्व बलिदान।

हल्दीघाटी खून‌ से सन गई, मच गई अविरल चीख-पुकार। दोनों ओर से लाशें पट गईं, होने लगे वार पर वार।

असि की चमक देखकर तेरे, दुश्मन की टोली थर थर्राई। मुगलों की दहाड़ पड़ी फीकी, जब तूने हुंकार लगाई।

तेरा घोड़ा चेतक ऐसा, जिसे शहीद का मान मिला। पूर्व -पश्चात हुआ ना ऐसा, घोड़े को इतना सम्मान मिला।

मुगलों ने अनुबंध जो भेजे, क्षण में उसको तुम ठुकराए। दुश्मन खा़तिर दुश्मन रोया, एक नया प्रतिमान बनाए।

भारत मांँ का ऐसा सपूत, जो हर हिंदुस्तानी को प्यारा। वीर- शिरोमणि के चरणों में, शत -शत बार हो नमन हमारा।

साधना शाही, वाराणसी

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1 Comments

Gunjan Kamal

03-Jun-2024 05:10 PM

👌🏻👏🏻

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